यश-अपयश हो, हानि-लाभ हो, सुख हो, वा हो शोक।सब सँ पहिने मोन पड़ै अपने भूमिक लोक।
किसुन संकल्प लोक के ऑनलाइन पोर्टल में आपका स्वागत है. हमें उम्मीद है कि हमारे ऑनलाइन वेब पोर्टल से हम मैथिलि एवं हिंदी साहित्य विकास के योगदान में अग्रसर रहेंगे
श्री रामकृष्ण झा किसुन जी का साहित्य में योगदान किसी से छुपा नहीं है.चाहे मैथिलि हो या हिंदी हर जगह उनकी कलम की जयजयकार गूंजती है .आज इस धरती से उनके देह का कोई नाता नहीं परन्तु उनकी कृतियाँ आज भी हम लोगों के बीच जीवंत और चर्चित हैं.साहित्य का कोई कोना उनसे अछूता नहीं .किसुन संकल्प लोक का यह एक छोटा सा प्रयास है जनमानस के बीच साहित्य की हर विधाओं को पहुचाने का .साहित्य की डोर चाहे मैथिलि से बंधी हो या फिर हिंदी से उड़ना तो साहित्य के आकाश में ही होगा.साहित्य के योगदान में हमारा यह प्रयास कितना रंग लता है यह सब आपलोगों के स्नेह पर निर्भर है .आप सब से सविनय अनुरोध है की आप यहाँ आयें और साहित्य का रसास्वादन लें .
श्री रामकृष्ण झा किसुन जी का साहित्य में योगदान किसी से छुपा नहीं है.चाहे मैथिलि हो या हिंदी हर जगह उनकी कलम की जयजयकार गूंजती है .आज इस धरती से उनके देह का कोई नाता नहीं परन्तु उनकी कृतियाँ आज भी हम लोगों के बीच जीवंत और चर्चित हैं.साहित्य का कोई कोना उनसे अछूता नहीं .किसुन संकल्प लोक का यह एक छोटा सा प्रयास है जनमानस के बीच साहित्य की हर विधाओं को पहुचाने का .साहित्य की डोर चाहे मैथिलि से बंधी हो या फिर हिंदी से उड़ना तो साहित्य के आकाश में ही होगा.साहित्य के योगदान में हमारा यह प्रयास कितना रंग लता है यह सब आपलोगों के स्नेह पर निर्भर है .आप सब से सविनय अनुरोध है की आप यहाँ आयें और साहित्य का रसास्वादन लें .