।।मदना मायक गीत।।
मदना माय के छलै सेहन्ता
खइतहुं पूडी-खीर
सेहो मन लगले रहलै।।
बड अबोध मन, कांचे तन लए
गेल छली ओ सासुर
खूब खटय ओ खूब कमाबय
भरय ने तैयो आंजुर
गललै देह, पडाएल जुआनी
जिनगी पीडे-पीड
मुदा मन लगले रहलै।।
बडे आस सं मदना सन-सन
तीन पूत जनमाओल
सोचय, हएत कमासुत बेटा
भागत दुख, मन भाओल
जखने आएल पुतहुआ, भेला
भिन्न-भिन्न सब वीर
ओकर मन लगले रहलै।।
आएल बुढारी, मदना माय के
संग ने देलकै दैबा
बेटा-पुतहु के, पोत-पोतिक
करय दम्म भरि सेवा
अन्त समय सडके पर बितलै
अहिना गलल शरीर
ओकर मन लगले रहलै।।
खइतहुं पूडी-खीर
सेहो मन लगले रहलै।।
बड अबोध मन, कांचे तन लए
गेल छली ओ सासुर
खूब खटय ओ खूब कमाबय
भरय ने तैयो आंजुर
गललै देह, पडाएल जुआनी
जिनगी पीडे-पीड
मुदा मन लगले रहलै।।
बडे आस सं मदना सन-सन
तीन पूत जनमाओल
सोचय, हएत कमासुत बेटा
भागत दुख, मन भाओल
जखने आएल पुतहुआ, भेला
भिन्न-भिन्न सब वीर
ओकर मन लगले रहलै।।
आएल बुढारी, मदना माय के
संग ने देलकै दैबा
बेटा-पुतहु के, पोत-पोतिक
करय दम्म भरि सेवा
अन्त समय सडके पर बितलै
अहिना गलल शरीर
ओकर मन लगले रहलै।।