बिरवा
जब
प्रेम हुआ था बिरवा को
तब कहाँ जानती थी की
खुद को ही भूल बैठेगी प्रेम में
भूल जाएगी
आकाश , धरती ,नदियों ,पहरों,पेड़ों
का अस्तित्व भी
और दुनिया के सरे नियम क़ानून
भूल जाएगी की
होते हैं कान दीवारों के
जो चुपके सुन लेते हैं उसकी
साँसों और धडकनों की आहटें
की
रखते हैं लोग
उसकी हर हरकतों पे नजर
हर कहीं आने जाने की खबर
भूल जाएगी की
हँसते हैं लोग ठठाकर पीठ पीछे
गढ़ते हैं अनूठे
नए नए किस्से
सच्चे झूठे
करते हैं कानाफूसी देखते ही
लेकिन भूल जाएगी
अपने प्रति हर किसी की गलतियां
और माफ़ कर देगी सबको तहेदिल से
पर भूल कर भी
नहीं भूलेगी बिरवा
प्रेम को
प्रेम में डूबी
पगली बिरवा….
प्रेम हुआ था बिरवा को
तब कहाँ जानती थी की
खुद को ही भूल बैठेगी प्रेम में
भूल जाएगी
आकाश , धरती ,नदियों ,पहरों,पेड़ों
का अस्तित्व भी
और दुनिया के सरे नियम क़ानून
भूल जाएगी की
होते हैं कान दीवारों के
जो चुपके सुन लेते हैं उसकी
साँसों और धडकनों की आहटें
की
रखते हैं लोग
उसकी हर हरकतों पे नजर
हर कहीं आने जाने की खबर
भूल जाएगी की
हँसते हैं लोग ठठाकर पीठ पीछे
गढ़ते हैं अनूठे
नए नए किस्से
सच्चे झूठे
करते हैं कानाफूसी देखते ही
लेकिन भूल जाएगी
अपने प्रति हर किसी की गलतियां
और माफ़ कर देगी सबको तहेदिल से
पर भूल कर भी
नहीं भूलेगी बिरवा
प्रेम को
प्रेम में डूबी
पगली बिरवा….