कौन
कौन दे रहा है दस्तक
दरवाजे पर
टाँगे जवाब दे गयी हैं
की अब उठा भी नहीं जाता
कौन सन्नाटों से निकल कर आया है
मेरी खबर लेने
कौन बार बार मुझे आवाज लगा कर
मेरे वजूद के होने का अहसास
मुझमे भर रहा है
कौन है
जो मेरी खिड़की से हटाकर परदे
सूरज को बेधड़क
मेरे आँगन आने दे रहा है
कौन है जो रौशनी के पन्नो पर लिखी हुई
जिन्दगी के लफ्जों को
गुनगुना रहा है
ये कौन है जो
मेरी जिन्दगी में फिर से आ रहा है
दरवाजे पर
टाँगे जवाब दे गयी हैं
की अब उठा भी नहीं जाता
कौन सन्नाटों से निकल कर आया है
मेरी खबर लेने
कौन बार बार मुझे आवाज लगा कर
मेरे वजूद के होने का अहसास
मुझमे भर रहा है
कौन है
जो मेरी खिड़की से हटाकर परदे
सूरज को बेधड़क
मेरे आँगन आने दे रहा है
कौन है जो रौशनी के पन्नो पर लिखी हुई
जिन्दगी के लफ्जों को
गुनगुना रहा है
ये कौन है जो
मेरी जिन्दगी में फिर से आ रहा है