पारदर्शी नील जल में
पारदर्शी नील जल में सिहरते शैवाल
चांद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर ताल
क्या पता था, किंतु, प्यासे को मिलेंगे आज
दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल।
चांद था, हम थे, हिला तुमने दिया भर ताल
क्या पता था, किंतु, प्यासे को मिलेंगे आज
दूर ओठों से, दृगों में संपुटित दो नाल।