पैबंद लगे सपने
वह बचाती है अपने सपने
पैबंद लगे सपने
जो धूल में गिरकर
हो गए हैं मैले
और थोड़े पुराने भी
नमक की थैली के पास रखने से
हो गए हैं गीले से
और चूल्हे की आग से
झुलस भी गए हैं शायद
कुछ दाग भी लग गया है
शायद आचार का ही
पर फिर भी रोज रखती है
अपने सिरहाने वही सपने
पूरे होने की उम्मीद में
पैबंद लगे सपने
पैबंद लगे सपने
जो धूल में गिरकर
हो गए हैं मैले
और थोड़े पुराने भी
नमक की थैली के पास रखने से
हो गए हैं गीले से
और चूल्हे की आग से
झुलस भी गए हैं शायद
कुछ दाग भी लग गया है
शायद आचार का ही
पर फिर भी रोज रखती है
अपने सिरहाने वही सपने
पूरे होने की उम्मीद में
पैबंद लगे सपने