प्रवास
अपने गाछीक
फूल-पात नही चिंहैत छि
बूझल नही अछि
वृक्ष सभक
लोक सभक
नाम बूझल नही अछि
एतेक दिन एही गाममें
अयनां भऽ गेल
मोम जेना कारी सन अयना भऽ गेल
हुनका चिन्हबाक चेष्टा करि
एखनाहूँ ई सूझल नही
आभहु होइए
एही प्रकृति सँ, एही स्त्री सँ ,एही नदी सँ
अपरिचिते रहि जाइ,एही गाम सँ धाम सँ
प्रवासी हैबाक सभटा दुःख , सभटा वेदना
हम एकसरे सही जाइ
अपरिचिते रहि जाइ
एतेक दिन एही गाममें अयनां भऽ गेल
मुदा,चिन्हार नही अछी विकालक
एही अन्हार में
अपने घर आङन
अपने घर आङन में चिकरै छि
हम अपने टा नाम
प्रवासी
नगरवासी छी हम
ई उपराग दैत छि
अपने टा गाम
फूल-पात नही चिंहैत छि
बूझल नही अछि
वृक्ष सभक
लोक सभक
नाम बूझल नही अछि
एतेक दिन एही गाममें
अयनां भऽ गेल
मोम जेना कारी सन अयना भऽ गेल
हुनका चिन्हबाक चेष्टा करि
एखनाहूँ ई सूझल नही
आभहु होइए
एही प्रकृति सँ, एही स्त्री सँ ,एही नदी सँ
अपरिचिते रहि जाइ,एही गाम सँ धाम सँ
प्रवासी हैबाक सभटा दुःख , सभटा वेदना
हम एकसरे सही जाइ
अपरिचिते रहि जाइ
एतेक दिन एही गाममें अयनां भऽ गेल
मुदा,चिन्हार नही अछी विकालक
एही अन्हार में
अपने घर आङन
अपने घर आङन में चिकरै छि
हम अपने टा नाम
प्रवासी
नगरवासी छी हम
ई उपराग दैत छि
अपने टा गाम