उम्मीद
उम्मीदों का पानी
बरसा है आज
झम झम
कितने दिन हुए
गम सुम सा सूरज
चुराता रहा आँखें
लुका छिपी के खेल में
हारती रही
हर बार मैं
कभी उतर आया आँगन में
बादलों का झुण्ड
बच्चों की तरह
छुक छुक गाडी के
खेल में
इंजन बन शोर मचाता
मैं पीछे पीछे भागकर
थकती जाती
हँसते हुए
सारे मुझपर
मैं चुप सी देखती हूँ
अपना आँगन
उम्मीद से भींगा हुआ
नए सपनों की ओस
मुस्कुरा रही है
मेरी पलकों पर
आज उग रहा है नया बीज
नए मन की
गीली माटी पर
दूब को
मिल जायेगा नया साथी ......
बरसा है आज
झम झम
कितने दिन हुए
गम सुम सा सूरज
चुराता रहा आँखें
लुका छिपी के खेल में
हारती रही
हर बार मैं
कभी उतर आया आँगन में
बादलों का झुण्ड
बच्चों की तरह
छुक छुक गाडी के
खेल में
इंजन बन शोर मचाता
मैं पीछे पीछे भागकर
थकती जाती
हँसते हुए
सारे मुझपर
मैं चुप सी देखती हूँ
अपना आँगन
उम्मीद से भींगा हुआ
नए सपनों की ओस
मुस्कुरा रही है
मेरी पलकों पर
आज उग रहा है नया बीज
नए मन की
गीली माटी पर
दूब को
मिल जायेगा नया साथी ......