।।धनक लेल कविक प्रार्थना।।
जुग एते बदलि गेल
अइ जबाना मे आब
ई कोना कहि सकै छी
जे धन अधलाह थिक।
कोना कहबै
जे ज्ञान-लग मे धन तुच्छ छै
जखन कि देखि रहल छी चतुर्दिक
जे धन भेने
ज्ञानो-विनिमय बेसी भ’ रहल छै।
तखन कहब एतबे
जे प्रभु, धन दिय’ तॅ
ज्ञान ल’ क’ नै दिय’
धन जॅ दिय’ प्रभु,
तॅ हमरा सॅ हमरा छीनि क’
नै दिय’।
धन दिय’ तॅ अइ होश-संग दिय’
जे धन हमरा हुअए
हम धन के नै भ’ जाइयै।
अइ जबाना मे आब
ई कोना कहि सकै छी
जे धन अधलाह थिक।
कोना कहबै
जे ज्ञान-लग मे धन तुच्छ छै
जखन कि देखि रहल छी चतुर्दिक
जे धन भेने
ज्ञानो-विनिमय बेसी भ’ रहल छै।
तखन कहब एतबे
जे प्रभु, धन दिय’ तॅ
ज्ञान ल’ क’ नै दिय’
धन जॅ दिय’ प्रभु,
तॅ हमरा सॅ हमरा छीनि क’
नै दिय’।
धन दिय’ तॅ अइ होश-संग दिय’
जे धन हमरा हुअए
हम धन के नै भ’ जाइयै।