आन्हर जिन्दगी !
१.आन्हर जिनगी
सेहंताक टेढ़ासँऽ थाहए
बाट घाट, आँतर-पाँतरके
खुट-खुट-खुट-खुट ….
२ आन्हर जिनगी
चकुआएल अछी
ठाढ़ भेल अछी
युगसंधिक अई चौबट्टी लग
सुनय विवेकक कान पथिकेँ
अद्गोई-बदगोई
३.आन्हर जिनगी
शांति सुंदरी केर नरम आङुरक स्पर्शसँ
बिहुँसे रहल अछी!
खंड सफलताकेर सलच्छा सिहकी
ओकर गत्र-गत्रमें
टटका स्पंदन भरी देलकइए |
सेहंताक टेढ़ासँऽ थाहए
बाट घाट, आँतर-पाँतरके
खुट-खुट-खुट-खुट ….
२ आन्हर जिनगी
चकुआएल अछी
ठाढ़ भेल अछी
युगसंधिक अई चौबट्टी लग
सुनय विवेकक कान पथिकेँ
अद्गोई-बदगोई
३.आन्हर जिनगी
शांति सुंदरी केर नरम आङुरक स्पर्शसँ
बिहुँसे रहल अछी!
खंड सफलताकेर सलच्छा सिहकी
ओकर गत्र-गत्रमें
टटका स्पंदन भरी देलकइए |