यतीमों के मुख से छीने गये दूध के साथ…
गुडहल
सांवले हरे पत्तों व सादे लाला फूलों के साथ
घर-घर में विराजमान मैं गुड़हल हूं
फिरंगियों के घर पैदा होता
तो डैफोडिल सा मेरा भी प्यारा नाम होता
जो बचाता बलि से मुझको
पर यहां निर्गंध हूं इसीलिए भक्तों का प्यारा हूं
मेरे पड़ोसी गेंदा-गुलाब
टुक-टुक मेरा मुंह देखते रहते हैं
और मैं मुटठी का मुटठी चढ़ा दिया जाता हूं
पाथरों पर
कोई जोडा मुझे बालों में नहीं सजाता
किसी की मेज की शोभा नहीं बढ़ता मैं
कॉपी के सफों में सूखकर
स्मृतियों में नहीं बदलतीं मेरी पंखुडि़यां
हर सुबह
यतीमों के मुख से छीने गयो दूध के साथ
मैं भी पत्थरों पर गिरता हूं
और हर शाम
उसी के साथ सडकर
बुहार दिया जाता हूं
मैं ओड़हुल हूं
सांवले हरे पत्तों व सादे लाला फूलों के साथ
घर-घर में विराजमान मैं गुड़हल हूं
फिरंगियों के घर पैदा होता
तो डैफोडिल सा मेरा भी प्यारा नाम होता
जो बचाता बलि से मुझको
पर यहां निर्गंध हूं इसीलिए भक्तों का प्यारा हूं
मेरे पड़ोसी गेंदा-गुलाब
टुक-टुक मेरा मुंह देखते रहते हैं
और मैं मुटठी का मुटठी चढ़ा दिया जाता हूं
पाथरों पर
कोई जोडा मुझे बालों में नहीं सजाता
किसी की मेज की शोभा नहीं बढ़ता मैं
कॉपी के सफों में सूखकर
स्मृतियों में नहीं बदलतीं मेरी पंखुडि़यां
हर सुबह
यतीमों के मुख से छीने गयो दूध के साथ
मैं भी पत्थरों पर गिरता हूं
और हर शाम
उसी के साथ सडकर
बुहार दिया जाता हूं
मैं ओड़हुल हूं