आखरी पल
मैं कभी जब सोचती हूँ
और जब नहीं सोचती हूँ ,
तुम आते हो याद
रहते हो हर पल साथ,
मैं हर पल कोशिश करती हूँ
अपने आपको अलग करने की
तुमसे
तुम्हारे उस अहसास से......
और अलग कर सकने की
उस आखिरी सीमा पर........
तुम अचानक फ़िर प्रकट हो उठते हो
इन दिशाओ मैं छा जाते हो
मुझमें समां जाते हो
और होती है
एक मुस्कराहट,
जिसे मैं आज तक समझ नहीं पाई,
क्या छुपी है उसमें ,
मेरी हार या तुम्हारी जित....
और जब नहीं सोचती हूँ ,
तुम आते हो याद
रहते हो हर पल साथ,
मैं हर पल कोशिश करती हूँ
अपने आपको अलग करने की
तुमसे
तुम्हारे उस अहसास से......
और अलग कर सकने की
उस आखिरी सीमा पर........
तुम अचानक फ़िर प्रकट हो उठते हो
इन दिशाओ मैं छा जाते हो
मुझमें समां जाते हो
और होती है
एक मुस्कराहट,
जिसे मैं आज तक समझ नहीं पाई,
क्या छुपी है उसमें ,
मेरी हार या तुम्हारी जित....