घर में शब्द
लिख लिख कर
मिटाती रही
अपने अनगढ़ शब्दों को
गूंथते हुए आटे को
पानी के साथ
थोड़े अबूझे शब्द भी डाले
और बनायीं शब्दों की रोटियाँ
कुछ जलीं
कुछ नर्म सी
बनाते हुए स्वेटर
बुन डाला शब्दों को सलाइयों पर
बिखर से गए
सारे डिजाईन
दिन की मेज पर लिखे शब्दों को मिटा डाला
मेरे बेटे ने
अपनी रबर से
रात के पन्नों पर लिखा
अपने मन को
सुबह डस्टबीन की आगोश में मिले
मेरे ही शब्द
घर की चौखटों पर
रंगोलियों में भरे
रंग शब्दों के
और
उग आई
एक नन्ही सी मुस्कान
शब्दों के होठों पर
मिटाती रही
अपने अनगढ़ शब्दों को
गूंथते हुए आटे को
पानी के साथ
थोड़े अबूझे शब्द भी डाले
और बनायीं शब्दों की रोटियाँ
कुछ जलीं
कुछ नर्म सी
बनाते हुए स्वेटर
बुन डाला शब्दों को सलाइयों पर
बिखर से गए
सारे डिजाईन
दिन की मेज पर लिखे शब्दों को मिटा डाला
मेरे बेटे ने
अपनी रबर से
रात के पन्नों पर लिखा
अपने मन को
सुबह डस्टबीन की आगोश में मिले
मेरे ही शब्द
घर की चौखटों पर
रंगोलियों में भरे
रंग शब्दों के
और
उग आई
एक नन्ही सी मुस्कान
शब्दों के होठों पर