कौन हो तुम
खिड़की से देखती हो
जाने कितनी दूर
ढूंढती हो
जाने किसे
अपनी परछाई से घंटों करती हो
जाने कैसी अबूझी बातें
आँचल के एक कोने में बाँध रखा है तुमने
अपनी बेचैन मुस्कुराहटें
अपने बीते हुए सपनों को
उदास आँखों से टोहती रहती हो
किसी अनजान शहर भेजती हो
बैरंग लिफाफा
लिखती हो धुंए पर
अपने मन की भड़ास
पढ़ते हुए कोई कविता पुरानी
टहलने लगती हो
परेशान होकर
किसी बेमतलब सी बात पर
रूठ जाती हो खुद से
खो जाती हो देखते हुए
तस्वीर कोई
दूर देश से आये किसी बादल की
सखी हो तुम
बरसती हो
भीतर -भीतर
समेट कर
अपनी अनकही नाराजगी
जाने किस दिशा में उड़ चलोगी
लगाकर परिंदों से होड़ ......
जाने कितनी दूर
ढूंढती हो
जाने किसे
अपनी परछाई से घंटों करती हो
जाने कैसी अबूझी बातें
आँचल के एक कोने में बाँध रखा है तुमने
अपनी बेचैन मुस्कुराहटें
अपने बीते हुए सपनों को
उदास आँखों से टोहती रहती हो
किसी अनजान शहर भेजती हो
बैरंग लिफाफा
लिखती हो धुंए पर
अपने मन की भड़ास
पढ़ते हुए कोई कविता पुरानी
टहलने लगती हो
परेशान होकर
किसी बेमतलब सी बात पर
रूठ जाती हो खुद से
खो जाती हो देखते हुए
तस्वीर कोई
दूर देश से आये किसी बादल की
सखी हो तुम
बरसती हो
भीतर -भीतर
समेट कर
अपनी अनकही नाराजगी
जाने किस दिशा में उड़ चलोगी
लगाकर परिंदों से होड़ ......