कौन
अपनी नाराजगी
किससे बांटू
किसे अपने उदास सपनों की
लम्बी कहानियां सुनाऊँ
थके और हांफते हुए क़दमों की
बेचैन कवितायेँ
किन शब्दों में
ढालूं
कौन है जो
मेरे मौन को सुन पायेगा
मेरी अनकही अधूरी धुन
अपने शब्दों में गुनगुनाएगा
किसी दिन
खामोश हो जाएगी तहखाने में बंद रात
कौन
जुगनुओं से मनुहार कर
रात की आवाज
फिर ले आएगा
अब तो अपने कदमों का भी भरोसा नहीं है
कौन उम्मीद को
पन्नों पर लिख जायेगा ?
किससे बांटू
किसे अपने उदास सपनों की
लम्बी कहानियां सुनाऊँ
थके और हांफते हुए क़दमों की
बेचैन कवितायेँ
किन शब्दों में
ढालूं
कौन है जो
मेरे मौन को सुन पायेगा
मेरी अनकही अधूरी धुन
अपने शब्दों में गुनगुनाएगा
किसी दिन
खामोश हो जाएगी तहखाने में बंद रात
कौन
जुगनुओं से मनुहार कर
रात की आवाज
फिर ले आएगा
अब तो अपने कदमों का भी भरोसा नहीं है
कौन उम्मीद को
पन्नों पर लिख जायेगा ?