बंधु चित्र
प्रतिज्ञ आत्म्वाची ?
अहाँक अमरता मार्ग कें अंतहीन दिशा देखा देलकछि,
आ कतहु नहि अहाँ |
अनुभूतिक क्षण
कटैया पर फुलाईत अछि
सभ प्रात
नऽव प्रस्फुटन |
अहाँक अमरता मार्ग कें अंतहीन दिशा देखा देलकछि,
आ कतहु नहि अहाँ |
अनुभूतिक क्षण
कटैया पर फुलाईत अछि
सभ प्रात
नऽव प्रस्फुटन |