‘किसुन जी’ क दृष्टि आ मूल्य-बोध
सुपौल स प्रकाशित ‘चेतना ‘ नामक हिंदी पत्रिकाक प्रवेशांक क सम्पादकीय में किसुन जी लिखने छथिन -
एक दीपक की ज्योति से अनेक दीपकों को ज्योतिर्मय करना अपने देश की प्राचीन परंपरा है| ‘दीप से दीप जले’ वाले सिद्धांत के आधार पर व्यक्तिगत चेतना को सामाजिक चेतना और इस प्रकार युग-चेतना का प्रतिमान बनाने की दिशा में सांस्कृतिक धरातल पर रचनात्मक प्रवृति को उद्बुद्ध कर साहित्य के माध्यम से राष्ट्र- कल्याण की भावना जन-जन में भरने की योजना का कार्यान्वयन हमारा लक्ष्य है | आज के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न की दृष्टि से हमें जिस विषय को समाहित करना है वह है मनुष्य की यथार्थ चेतना का सम्यक विकास करना | इसके लिए साहित्य एक सबल साधन ही नहीं, महान माध्यम भी है, किन्तु साथ ही आधुनिक मनुष्य को उसके विराट सांस्कृतिक सन्दर्भ में समझे- परखे बिना तथा स्थायी मानव मूल्यों को अधुनातन परिवेश में खोजे बिना आज के साहित्य-चिंतन का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सकता |
सौजन्य- श्री मोहन भरद्वाज द्वारा लिखित पुस्तक
एक दीपक की ज्योति से अनेक दीपकों को ज्योतिर्मय करना अपने देश की प्राचीन परंपरा है| ‘दीप से दीप जले’ वाले सिद्धांत के आधार पर व्यक्तिगत चेतना को सामाजिक चेतना और इस प्रकार युग-चेतना का प्रतिमान बनाने की दिशा में सांस्कृतिक धरातल पर रचनात्मक प्रवृति को उद्बुद्ध कर साहित्य के माध्यम से राष्ट्र- कल्याण की भावना जन-जन में भरने की योजना का कार्यान्वयन हमारा लक्ष्य है | आज के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न की दृष्टि से हमें जिस विषय को समाहित करना है वह है मनुष्य की यथार्थ चेतना का सम्यक विकास करना | इसके लिए साहित्य एक सबल साधन ही नहीं, महान माध्यम भी है, किन्तु साथ ही आधुनिक मनुष्य को उसके विराट सांस्कृतिक सन्दर्भ में समझे- परखे बिना तथा स्थायी मानव मूल्यों को अधुनातन परिवेश में खोजे बिना आज के साहित्य-चिंतन का वास्तविक उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सकता |
सौजन्य- श्री मोहन भरद्वाज द्वारा लिखित पुस्तक