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        • ।।बुढबा नेता ।।
        • ।।बेबस जोगी ।।
        • ।।घर ।।
        • ।।कः कालः।।
        • ।।स्त्रीक दुनिञा।।
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        • ।।गोनू झाक गीत।।
        • ।।जाति-धरम के गीत।।
        • ।।भैया जीक गीत।।
        • ।।मदना मायक गीत।।
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        • ।।प्रलय-रहस्य।।
        • ।।धनक लेल कविक प्रार्थना।।
        • ।।बुद्धक दुख॥
        • ।।गिद्धक पक्ष मे एकटा कविता।।
        • ।।विद्यापतिक डीह पर।।
        • ।।पंचवटी।।
        • ।।घरबे।।
        • ।।रंग।।
        • ।।संभावना।।
        • ।।सिपाही देखैए आमक गाछ।।
        • ।।जै ठां भेटए अहार ।।
        • ।।ककरा लेल लिखै छी ॥
        • ।।स्त्रीक दुनिञा।।
        • ।।घर ।।
      • रामधारी सिंह दिनकर>
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भारतीय परम्पराक भूमिका -सुर्यपुत्रिक जन्म : श्रृष्टिकथा 

मानवक इतिहास ओकर निरंतर ओ अथक संघर्सक इतिहास थिक| संघर्स भेल प्रकृतिसँ जे एकमात्र अस्तीत्वक लेल छल,प्राणरक्षाक लेल छल| स्वयं प्राणवंत भेलाक पश्चात् प्रकृति पर अपन विजय अभियान प्रारम्भ केलक |  ओकर यैह उपलब्धि ओकर सभ्यता ओ संस्कृति बनल |

एही सभ्यता ओ संस्कृति खोज आरम्भ भेल अठारहम शताब्दीक अंतसँ जहिया डारविनक ‘जीवक उत्पत्ति’ नमक रचना प्रकाशित भेल |

प्रकाशित होमऽ लागल मानव विकासक सुदूर अतीतक अन्ध्गुफा | भूगर्भशास्त्री, न्रितत्ववेत्ता एवं प्राणीशास्त्री लोकनि सांकाक्ष भेलाह,पुरातत्व साक्ष्य समक्ष आबऽ लागल | साक्ष्य तथा अपन विचार प्रस्तुत करऽ लगलाह प्रो.ओस्बोर्न,पेंक ब्रकनर,प्रो.लीके,प्रो. ग्राहम क्लार्क,प्रो. गार्डन चाइल्ड,फैंज़ विडेनरिच,जोहम हर्जलर,डा.साईमंस,डार्ट,डा पलियानोस,डी.जे.वाईजमन,डा एस.आर.के चोपरा,प्रो डी .एन.मजुमदार,प्रो वर्न्स तथा डॉ हेटेन आदि विद्वानलोकनि |

एहि विद्वान लोकनिक  दृष्टि सुदूर अतीतक अंध समुद्रमें भौतिक तत्वक रत्न सब ताकऽ लागल | बहुत रास तथ्य रत्न इतिहासक तट पर आयल जाहिमे किछु -किछु अनेकता-भिन्नता सेहो अछी | किन्तु जे किछु हो इतिहास केर पुरातात्वक पट पर क्रांति आबि गेल |

क्रांति आयल सृष्टिक उत्पत्ति सम्बन्धी विचारमें | एखन धरि एहि प्रसंगमें एकमात्र धार्मिक मत प्रचलित छल जाहिमे एहि सृष्टिक कर्ताक रुपमे इश्वरकं मान्यता प्राप्त छल | बाइबिल कहलक जे ई सृष्टि चारि हजार वर्ष पुरान अछी आ आदिमानव सीरियामें जन्म लेलक | वैदिक धर्म कहलक जे इन्द्र एहि पृथ्वीकं पानी सँ बहार केलक तथा सृष्टी आदिहीन आ अनंत अछी |

आधुनिक कालक भौतिक विज्ञान विहुंसी देलक | ओ सत्य तकबाक चेष्टा करऽ लागल |

ओ देखलक जे अनेक अरब वर्ष (लगभग साढ़े चारि अरब) पूर्व सूर्य, जे एकटा अति प्रचंड ज्वलित गैस पिंड थिक,ओहिमे भयानक हलचल भऽ रहल अछी | ओ अन्तमें नौ खंडमे विभाजित भऽ गेल | यैह भेल नवग्रह | ओहिमे भेल एकटा गृह पृथ्वी | एहि प्रकारें ई पृथ्वी साढ़े चार अरब वर्ष पुरान थिक |

एहि प्रकारे ई पृथ्वी,ओही सूर्यक पुत्री थिक जे अपन पितासँ ९३ करोड़ मील नीचा आबिकं अपन पिताक सम्मानमे २३.१/२  डिग्री झुकीकं प्रति सेकेण्ड प्रति हजार मीलक गतिमें  अपन कक्ष पर घुमैत एकटा दुर्जेय आकर्षण मे  अपन पिता, सूर्यक परिक्रमा करैत रहैत अछी, अपन २५ हजार मीलक गोल शरीर एवं ८ हजार मीलक अपन व्यास बाहीं नेने | पुत्रीसँ पिता महान अछि, १०८ गुना महान अर्थात ८ लाख ६४ हजार मील | पृथ्विक दोसर बहिनी चन्द्रमा २ लाख ३६ हजार मील दूर पर रहैत अछी |

साढ़े चारि सौ कड़ोर वर्ष पूर्व ई पृथ्वि अपन अस्तित्व  आबि गेल छल | किन्तु छल भयंकर तप्त रूपमे| लाखो वर्ष मे निरंतर वर्षाक कारणे ई शीतल भेल तथा जीव  जन्मक लेल उपयुक्त  बनी सकल |

साढ़े तीन सै करोड़ वर्ष पूर्व पृथ्वी पर आदिम जीवक जन्म होमऽ लागि गेल छल जे रीढ़हीन जलीय जीव छलैक | जहिना ई पृथ्वी गतिमान छल तहिना एकर जीव विकास गतिमान रहलै |

गतिमान रहलै पृथ्वीक जलवायु | ओही जलवायुक संग अभियोजनशीलता जीवक प्रधान रक्षक भेलैक | कालांतर मे मत्स्य  प्रकारक जीवक उद्भव भेलैक | भारतीय अवतारवादक मत्श्यअवतार वैज्ञानिक दृष्टि ५० करोड़ वर्ष पूर्व घटित भेल छल |

आईसँ  ४० करोड़ वर्ष पूर्व समस्त धरती एक्के भूखंड छल, आधुनिक महादेश योरोप, अफ्रीका,एशिया,अमेरिका तथा आस्ट्रेलिया एक छल, स्वतंत्र एकाइक जन्म नहीं भेल छल | आस्ट्रेलिया दक्षिणी अमेरिका ,अफ्रीका तथा भारतक दक्षिणी पठार बहुत बाद मे अलग भेल | बहुत दिन धरि संगे रहल | तं जीव ओ उदभिजमे साम्य अछी |

संग संग रही प्रकृतिक  अनेक परिवर्तनक साक्षी  भू | अनेक भू -परिवर्तन तथा जलवायु परिवर्तन होइत रहल | घास – सेमारिक विकास वनस्पति रूपमे होमऽ लागल |

२५ सँ ५ करोड़ वर्ष पूर्वक बीच पृथ्वी पर अनेक महान परिवर्तन सब भेल, भूतलक हेरफेर भेल , जल-थलक विभाजन भेल | तापमान अनुकूल भेल तथा जल एवं थल पर संयुक्त रूपं रहऽ बाला जीव सबहक जन्म ओ विकास प्रारंभ भेल एहिमे किछु प्रकारक जीव प्रमुख थिक | कछप अवतार एहि कालखंड घटना मानक चाही |

१५ करोड़ वर्ष पूर्वक पश्चात् सरीसृप जीवक जन्म होमऽ लागल जे मुख्यतः धरती पर निवास करैत छल | एहि प्रकारक जीवमे सर्प प्रधान थिक | तं शेषनाग अवतारक कल्पना केर आधार एहि कालखंडमे भऽ सकैछ

५ करोड़ वर्ष पूर्वक पश्चात् ई पृथ्वी प्राकृतिक मनोरम प्रांगन बनऽ लागल | तापमानमे अनुकूलता वृद्धि भेल तथा आकाश मे पक्षी एवं धरती पर स्तनपायी जीवक जन्म होमऽ लागल | पृथ्वी पर निरंतर जलवायुक अनुकूल परिवर्तन  भऽ रहल छल | एही समय में गाछ पर चढ़ऽ बाला प्राणी के विकास भेल आ हाथक विकास एकटा विशेष महत्वपूर्ण अंगक रूप में होमय लागल |

५० लाख वर्ष पूर्व ओही स्तनपायी जीव, वानर,गोरिल्ला तथा चिम्पांजी जे हाथक प्रयोग सिमित रूप में प्रारंभ कऽ देने छल- जाहिसँ मानवसम प्राणीक विकास प्रक्रिया प्रारम्भ भेल | एही नवीन प्राणीमें  मष्तिस्क केर अस्तीत्वक आभास प्रकट होमऽ लागल |

वैज्ञानिक लोकनिक मान्यता अछी जे १० लाख वर्ष पूर्व प्रकृति में महान परिवर्तन  भेल |जलवायु अपेक्षाकृत अधिक उपयुक्त तथा सरस भेल एवं मानव विकास सुगम ओ तीव्र भेल | नरसिंह अवतारक यैह कालखंड मानल जायत|

विश्वक क्षितिज पर चारि-पांच लाख वर्ष पूर्व मानवसम प्राणी प्रकट भेल जे विभिन्न भू-छेत्रमें अपन लीला आरम्भ कऽ देलक | विभिन्न क्षेत्रक एहि प्राणीमें विभिन्नता छल जे कालांतरक प्रजातिकँ जन्म देलक |एकरहि जावा मानव तथा प्रोकोंसुल आदि कहल जाइत अछी | एहि प्राणी में भाषाक सर्वथा अभाव छल,मात्र कठोर कर्कश रूपं चिचिया सकैत छल | किन्तु ई हाथक व्यवहार पाथर फेकिकँ शिकार मारबाक रूपमें करऽ लागि गेल छल जाहिमे मष्तिस्क सेहो संग दैत छल |

एहि युगक हाथ तथा हथियार मानव सभ्यताक इतिहासक एकटा प्रथम क्रन्तिकारी घटना थिक | यैह दुनु वस्तु  एहि प्राणी के  एकटा संस्कृति देलक, संग्राहक संस्कृति जे कालांतरक पशुपालन युग धरि अर्थात ई.पूर्व १० हजार वर्ष पूर्व धरि चलैत रहल |

भुगार्भ्शात्री लोकनिक मान्यता अची जे एही धरती पर कम सँ कम चरि बेर हिमपात अवश्ये भेल | प्रथम भेल ६ लाख वर्ष पूर्व तथा अंतिम भेल ५० हजार वर्ष पूर्व | एही कारने भूतलक जलवायुमे बहुत परिवर्तन आयल,परिवर्तन जीव-जगतमे सेहो भेल | जीव-जंतु तथा स्तनधारी प्राणीकं अपन अस्तित्व लेल अनेक दुष्कर संघर्ष करऽ पड़ल | जे संघर्ष नहीं कऽ सकल ओ समाप्त भेल तथा अनेक संघर्षशील प्राणीक ओ विकास भेल | अनेक प्राचीन जीव समाप्त तथा नवीनक,जन्मग्रहण भेल |

वैज्ञानिक लोकनिक मतें २ लाखसँ लऽ कऽ ५० हजार वर्ष पूर्वक बीच आधुनिक मानवक पूर्वज अपन आधुनिक अस्तित्वमे आबि गेल | आ ई पूर्व ३० हजार वर्षक आसपास आधुनिक मानव गाछक ऊपर अथवा तऽरमे रहब छोड़ी खोहमे आबिकं रहऽ लागल | आब आधुनिक मानव अधिक सुकुमार होमऽ लागल | ओकर सुकुमारताकं प्रोत्साहित केलक प्रकृति जे बहुत अधिक अनुकूल भऽ गेल छल | जीवनक कठोरता समाप्त भऽ रहल छल | ई खोह ओकरा आरो विलासप्रिय बनबऽ लागल|

मानव जीवनक एही कालखंड सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना थिक ‘हाथ आ माथ’क संग | मष्तिस्कक ततेक विकास भऽ गेल छल जे एहिप्रकारक मानव प्राणीक एकमात्र विशेषता छल हाथ,जे मथक आदेश पर नाचऽ लागल | मानव सभ्यातक इतिहासक ई दोसर महत्वपूर्ण क्रांति छल |मानव मन एकर बादसें जटिल होमऽ लागल |

यैह जटिलता सर्वप्रथम एकरा एकटा समाजमे रहबाक प्रेरणा देलक | एही समयसँ मनुष्य एकटा सामाजिक प्राणी भेल | मात्र एकटा समूहमे रहिकें अपन भोजनक संग्रह लेल घुमैत रहब कार्य  भेल, देह पर एखनधरी वस्त्र  नहीं आयल छल | मौलिक आवश्यकतामे प्रथम भेल भोजन तखन आवास,सर्वप्रथम एही दुनूक व्यवस्था मनुष्य कलक | वस्त्रक अनुभूति ताधरी नहीं भेल छल | प्रथम-प्रथम हथियार निर्माण दिस मनुष्यक ध्यान गेल छल | हथियार होइत छल पाथरक |

पाथरक एही हथियार निर्माणक आधार पर प्रो.गार्डन चाइल्ड आदिम मानव सभ्यताक विकासकें तीन पाषाणकालमे विभाजित कायल जे सामान्यतः ३ लाख वर्षसँ लऽ कऽ ८ हजार ई.पूर्व धरिक कालखंड थिक | मानव हथियार निर्माण मे निरंतर विकास होइत गेल जे सुविधा एवं उपयोगिता दिस अग्रसर भेल |

ई.पूर्व १५ हजार वर्षक पश्चात् हथियारनिर्माणमे सूक्ष्मता तथा शिल्पक प्रवेश भेल | एही समयक तेसर क्रांति थिक आगिक अविष्कार अर्थात आगिक व्यव्हार | आगि मानव जीवनमे क्रांति आनि देलक | एखन धरि जे कांच मांस खाइत छल आब पका,झरकांक खाय लागल | हिंसक वन्यपशुक भयसँ जीवन आतंकित रहैत छल,आगि ताहिसँ रक्षा केलक | एखनधरि खोहक मुखंक पाथर जमाकऽ संकीर्ण बनबैत छल जे आक्रामक वन्यपशु प्रवेश सहज नहीं होइक,आब मुहं पर आगि जरबऽ लागल | एखन धरि पशु जकां रातिकं पानी नहीं पिबैत छल आब रातियोंकं काष्ठाग्नी लऽ कें जलाशय धरि वन्यपशुसँ निर्भीक भऽ कं जाय लागल, पानि पीबऽ लागल | आगिसँ जीवन सुखद भेल,निर्भीक भेल | आब ओ वस्त्रक रुपमे अपन नाग्न्ताक झांपऽ लेल वृक्ष छाल,पात,लत्ती आदिक व्यव्हार करऽ लागल | ओ गाछक  फल सेहो खाइत छल आ धरतीक अन्य जीव मरीकं  सेहो |

शिकार ओ सामान्यतः समुहेमे रहीकें करैत छल | ई सामूहिकता ओकर सामाजिक जीवनक प्रथम लक्षण थिक | तथापि ओकर जीवन पद्धति क्रूर,कठोर ओ बर्बर छल | ओ दल बनाक घुमैत छल तथा क्षेत्र विशेषमे वन्य पशुक आभाव भेला पर अन्य क्षेत्र दिस ससर जाइत छल | संग्राहक भूगोल सर्वथा स्वाधीन छल

एहि संग्राहक संस्कृतिक एकटा प्रमुख विशेषता छल गुफाक अनुकरण पर गृह बनेबाक प्रवृतिक जन्म | जन्म भेल स्वर ध्वनिक | यद्यपि एखनधरि भाषा नहि बनल छल किन्तु पशु ध्वनि आधार पर किछु शब्द अवश्ये बनि गेल होयत | मष्तिस्कक विकासक सङहि अभिव्यक्ति आकुलता सेहो बढल होयत जे संभवतः संकेत अभिनयक माध्यमे पूर्ण होयत|वैज्ञानिक लोकनिक मत अछी जे ई.पूर्व १० हजार वर्ष समस्त विश्व में जलवायुक भारी परिवर्तन भेल,अनेक गर्म ओ शुष्क बिहाड़ी बहल | अनेक जीव-जंतुक एही कारणे क्षेत्र परिवर्तन भेल,वृहत स्टार पर मनुष्योक आवास परिवर्तन भेल | सामान्यतः आगिक आविष्कारक पश्चातें मानव समाज पशुपालनक दिशा में अग्रसर भऽ रहल छल |

पशुपालनक भाव मनुष्यक भविष्य चिंताक कारणे भेल छल | आ यैह भविष्य चिंता ओकरा संग्राहक संस्कृतिसँ उत्पादन संस्कृति दिस ठेलि रहल छल | आब ओ अस्थायी ढंगे सामूहिक रूपं गृह बनाक रहब सीखि रहल छल | वन्य बीज जे कालान्तरक अन्न थिक,मानव हाथक प्रतीक्षा कऽ रहल छल | नदी तटक आवास व्यवस्था आकर्षित कऽ रहल छल |

आकर्षित भऽ रहल छल अपन मृत पूर्वजक प्रति | ओकरामें एकता पूजाभाव जागृत भऽ रहल छल | प्रकृतिक विभिन्न रूप जे ओकरा लेल उपयोगी भऽ रहल छल अथवा जकरासँ ओ भयभीत होइत छल ,केर प्रति पूजाभाव स्वीकृत भऽ रहल छल जाहिमे गाछ,पशु आ नदी मुख्या अछी |

समूह समाज मत्रिसत्तात्मक छल | नर आ नारीक अतिरिक्त आ कोनो सम्बन्ध नहीं भेल छल,एही दृष्टिञ॓ मनुष्य पशुवते छल |

मनुष्यक पशुवत जीवनमे परिवर्तन आयल ई.पूर्व ८ हजार वर्षक नवीन  पाषाणकालक पश्चात् जखन समाज संग्राहक संस्कृतिसँ उत्पादक संस्कृतिमें प्रवेश केलक | एही कालमे पशुपालन अपन मध्य चरणमे आयल अर्थात लोक पशुसँ मांसक अतिरिक्त दूध-दही सेहो प्राप्त करऽ लागल तथा वन्य बीजकं घरक  निकट लगाकं कृषि दिस उन्मुक्ख भेल | आब मानव समाज मात्र संग्राहक नहीं रहल ओ उत्पादक बनी गेल | अन्न उत्पादन समाजमे महान क्रांति आनि देलक |

आब गाम बसऽ लागल | आरंभिक गाम बसल गोलाकारमे | लोक गाम घर लग फलद गाछ लगबऽ लागल जे कालान्तरक कलमबाग भेल | लोक थोपि-थापिक माटिक बासन बनबऽ लागल | सम्पूर्ण गाछक पाथरेक औजारसँ खोधि-खाधीकं नाहो बनबऽ लागी गेल

समाज जे असीमित सामुहिकताक छल तकरा कृषि आबिकं सीमित सामूहिकता दिस प्रेरित केलक | आ यैह प्रवृत्ति कालान्तारक परिवारकं जन्म देलक |

परिवारक जन्म भेल नदीघाटी तथा धातुयुगसँ जकरा इतिहासकार लोकनि, ई.पूर्व ५ हजार वर्षसँ मनेत छथि | एही कालखंडमे विभिन्न दशक विभिन्न नदीक तट पर आधुनिक मानव सभ्यताक जन्म भेल | एकरा  बादेसँ जाँ जीवनमे एक दिस माधुर्य,सहजता आ सुगमता आयल तां दोसर दिस कृषि विकास तथा वाणिज्य व्यवसायसँ समाजमे जटिलता आबऽ लागल जे उत्पादक  संस्कृतिक प्रधान लक्षण भेल |

एही प्रकारं ३ लाख वर्ष पूर्व जे मानव प्रकृति पर अपन विजय अभियान  प्रारम्भ कयने  छल से ई.पूर्व ५ हजार वर्ष पूर्व क्षणकालक  लेल विराम लेलक | एखनधरि ओ प्राकृतिक संगे संघर्ष कयने छल आब ओ समाजक संगे द्वन्द्वा आरम्भ करऽ जा रहल अछी | एहिठाम आबिकं मानवक अतीत गुफाक अन्धकार समाप्त होइत अछी जकरा वैज्ञानिक लोकनी भौतिक विभिन्न विज्ञानक माध्यमे पार केलनि तथा इतिहासक उषाकालक देखलानि | आब मानव विकासक लेल सभ्यता  संस्कृतिक शब्द महत्वपूर्ण भऽ उठल | आब विभिन्न देशक सभ्यता  संस्कृतिक विकास अपन-अपन भूगोलक आत्माक आधार पर होमऽ लागल |

इतिहासकार लोकनि विभिन्न देशक सभ्यातक काल निर्धारण सेहो कयने छथि | हुनका लोकनिक मतें क्रीट एवं  योरोपक सभ्यातक जन्मकाल थिक ई.पूर्व ३ हजार वर्ष ,मिस्रक ६ हजार  तथा एशिया ओ भारतक ई.पूर्व ८ हजार वर्ष पूर्व |

भारतक पाषाणकालीन सभ्यातक खोज आरम्भ  भेल १८६३ ई. मे जियोलाजिकल सर्वे विभाग केर विद्वान मि.ब्रुश्फुटक प्रयासें | हुनकहि मद्रास (प्रेसिडेंसी) मे प्रस्तरक औजार तथा प्राचीनतम मानव कंकाल भेटल  छल जकर विवरण प्रकाशित भेल,भारतीय इतिहासमे अनुसन्धान हलचल प्रारम्भ भेल |

हलचल भेल पुरातत्व विभागमे, ओल्डहम हैकेट तथा ब्लैंडफर्ड आदि विद्वानक खोजसँ भारतो आदिमानवक क्षेत्र मानल जाय लागल | आ उन्नैसम शताब्दिक अंत धरि मद्रास प्रेसिडेंसी, उड़ीसा,मध्य प्रदेश,उत्तर प्रदेश, तथा पंजाब आदि क्षेत्रमे पाषाणकालीन सभ्यता ताकल गेल | ई निश्चित भेल जे भारत सेहो आदि मानवक लीलाभूमि रहल अछी |

चारि-पांच लाख वर्ष पूर्व भारतोमे मानवसम प्राणिक अस्तित्व छल जकर विकास कालांतर मे आधुनिक मानवक रुपमे भेल | 40 सँ २५ हजार वर्ष पूर्व भारतोमे  आधुनिक मानवक पुर्वजक ,जे त धरी बहुत अंश मे सभ्य ओ विकसित भऽ गेल छल- अस्तित्व छल

कहबाक प्रयोजन जे एशिया तथा अफ्रीका अपेक्षाकृत पहिने प्राकृतिक अनुकूलता आयल छल तं एही क्षेत्रमे मानव विकासक प्रायः समस्त सम्भावना वर्तमान छल | आ तं भारतकें आदिमानवक क्षेत्र मानव सर्वथा तर्कसंगत अछी जकर साक्ष्य सेहो प्रस्तुत अछी | ए.एल वैशम मद्रास तथा डा. राधाकुमुद मुखर्जी शिवालिक तथा सोअन मानैत छथि |

साक्ष्यक अखंडित परम्पराक अभाव पुरातत्व विभागक असमर्थता थिक,भारतीय मानव विकास परम्पराक नहि |

एखनधरि विश्वक प्राचीनतम गाम जोर्डन तटक जेरीकोंक ताकल गेल अछी जे भारत में ई.पूर्व  ७ हजार वर्ष मानल गेल अछी | हमर व्यक्तिगत मान्यता अछी जे भारतमे ई.पूर्व १० हजार वर्षे पूर्वें भारतीय ग्राम  बसऽ लागि गेल होयत आ से बसल होयत विन्ध्य क्षेत्रमे | कारण एही क्षेत्रमे(मध्य भारतमे) प्रथम-प्रथम एक लाख वर्ष पुरान पाथरक हथियार प्राप्त भेल अछी जे एही क्षेत्रक आवास ओ विकास सूचना दैत अछी |

१० हजार वर्ष पूर्वक भारतीय ग्रामक प्रसंगमे जी. आर. शर्माक(बेगिनिंग ऑफ़ एग्रीकल्चर ) मत उल्लेखनीय अछी जनिका ७ हजार वर्षक पुरान चाउर भेटल छलनी,जकरा तत्काल सब इतिहासकार मान्यता नहि दऽ रहल छथि | कोल्डीहबाक मुंड प्राप्तिक पश्चातो शर्माकं अविश्वसनीय मानब आश्चर्य विषय थिक |

कहबाक प्रयोजन नहि जे धानक उत्पादन, जौ आ तकर बाद गहुमक पश्चात् भेल अछी | जाँ शर्माक चाउर ई.पूर्व ७ हजार वर्षक थिक तां निश्चित रूपं एहीसँ पूर्व जौ गहुमक कृषि प्रारंभ भऽ गेल होयत |

हमर तेसर तर्क अछी जे यैह ई.पूर्व. १० हजार वर्षक समय थिक जखन समस्त विश्व मे जलवायुक भरी परिवर्तन भेल छल, भयंकर शुष्क बिहाड़ी बहल छल ,एही समय मे जलाशय अथवा नदी तट पर आवास भेल होयत | विन्ध्य क्षेत्र मे बेतवा,चम्बल,आदि नदी तट मानव ग्रामक कारण अवश्ये बनल होयत जे ई.पूर्व.८ हजार वर्ष पहिने व्यापक रूपं अवश्ये बसी गेल होयत | एही समयमे एकटा घटना आरो घटल छल,अफ्रिका दिससँ बहुत रास नीग्रोईट प्रजतिक मानव दल भारत आयल छल जाकर प्रमाण कलंतारक भारतीय मानवमे भेटैत अछी जे कारि ,छोट,तथा औंठिया केश बाला होइत छल |

जँ वामन अवतारक कल्पना आवश्यक तं से एही कालखंड घटना भऽ सकैछ | एखंधरिक अवतार तं सार्वजानिक सर्वदेशीय छल कारण ई इथोपियने प्रजाति विश्वक वमंरूप थिक जे धरतीकं नपैत भारतधरि आयल छल | बादक अवतार एकमात्र भारतीय अवतार थिक | ई अकल्पनीय नहि कारण एकर बादसें भूगोल राजनितिक दृष्टि अपन सीमारेखा प्रस्तुत करऽ लागल आ ४० करोड़ वर्ष पूर्वक एक भूखंड आई एतेकरास खंड,महादेश,देश,तथा प्रदेशमे विभाजित अछी |

कहबाक प्रयोजन जे ई.पूर्व ८ हजार वर्षक ई व्यवस्थित ग्राम योजना कालान्तरक नदी घाटी एवं धतुयुगीन सभ्यातक ग्राम पृष्टभूमि  बनल जे भारत में अपन शिखर पर पहुँचके नष्ट भेल | विश्व  इतिहासक क्षितिज पर अतीतमे सर्वप्रथम नदीघाटी सभ्यातक सूर्योदय भेल अछी जाकर इतिहासकार प्रागैतिहासिक संज्ञा दैत छथि |

एही संग्याक  विशेषण क्षेत्र बनैत अछी सिन्धु नाडिक आधार पर सैन्धव सभ्यता, दजला आ फरात नदीक मेसोपोटामिया सभ्यता एवं नील नदीक तट पर मिस्री(अफ्रीकी) सभ्यता | ई सब सभ्यता समकालीन ठीक जाहिमे भारतीय सैन्धव सभ्यता कतिपय विकसित दृष्टि से प्राचीनतर थिक | जकर समय निर्धारणमे अनेक मत अछी, सामान्यतः इतिहासकार लोकनि ई.पूर्व ३००० वर्षसँ लऽ क १७०० ई.पूर्व धरि मानैत छथि | हमर व्यक्तिगत मत अछी जे जाहि समयमे रावीक तट पर पहिल बेर ग्राम बसल जे कालान्तारक हरप्पा भेल ओही समयसँ सैन्धव सभ्यताक आरम्भ मानक चाही अर्थात ई.पूर्व ३५०० वर्षक आसपाससँ | एकर अंत लोथलक अंतसँ मानक चाही अर्थात ई.पूर्व १५०० वर्षक आसपास | एही प्रकारें ई सभ्यता ई.पूर्व.३५०० सँ लऽ क १५०० ई.पूर्व थिक |

आरंभिक तिथि बिंदु ३५०० ई.पूर्वक प्रसंग दुई टा तथ्य उल्लेखनीय अछी | प्रथम तं सुमेरी साक्ष्य,निश्चिते ई पुरातात्विक साक्ष्य नहीं थिक जेना बादक मोहर प्राप्ति साक्ष्य प्रस्तुत साक्ष्य करैत अछी |

ओही समयमे सुमेरमे भारतक नाम डिलमुल छल | पौराणिक कथा मे (सुमेरक) ई वर्णित अछी जे महाप्लावनक पश्चात् रजा जियसूद्र एनकी देवक कृपासँ अमर हेबाक लेल डिलमुल गेल | ई महाप्लावन तथा राजा जियसूद्रक समय ई.पूर्व ३१०० वर्ष मानल जाइत अछी | एकर अर्थ भेल जे सुमेर तथा  भारतक आवागमन प्रारम्भ छल आ भारतीय जलवायु उपयुक्त मानल जय लागल छल | ई आवागमन निश्चिते भारतीय   व्यापारक कारने भेल होयत | जाकर उल्लेख पाछु बेबिलोनक रजा सारगन (ई.पूर्व २६०० वर्ष) सेहो करैत अछी | ई विदेश व्यापार आतंरिक विकसित व्यापारक पश्चाते भेल होयत जाकर पाछु कृषि विकासक सुदीर्घ  परंपरा रहल होयत | एकर अर्थ भेल जे सैन्धव सभ्यताक आतंरिक व्यापार ई.पूर्व. ३५०० सँ पहिनही आरम्भ भऽ गेल होयत | निश्चिते ई व्यापारिक मार्ग,धातु आविष्कारसँ पूर्व थलमार्गे रहल होयत | दोसर, सुनेरी पौराणिक कथाक मान्यता थिक जे पूरबसँ कृषि सिखेबाक लेल लोक आयल छल | ई कथा ई.पूर्व ३०००क आसपास सुमेर मे प्रचलित भऽ गेल छल |   ओ ‘पूब’ निश्चिते भारत रहल होयत | कारण एलम सूसा तथा ईरानक सभ्यता अपेक्षाकृत सुमेरी एवं सैन्धव सभ्यतासँ  परिवर्ती थिक |

द्वितीय,पिरामिड कालक मिस्रक फेराऊनक देहक शालक कशीदा तथा मोअन जोदरोक एकता मुर्तिक शालक कशीदा मे साम्य देखिकं विद्वान लोकनि भारतसँ मिस्रक वस्त्र व्यापारक कल्पना करैत अछी |

ई सबटा तथ्य विश्वक प्राचीन सुमेरी सभ्यतासँ भारतीय सैन्धव सभ्यता प्राचीनतर  थिक -ई सिद्ध करैत अछी |

कहबाक प्रयोजन नहीं जे भारत मे एकमात्र प्राचीनतर सभ्यता सैन्धवे सभ्यता नहीं थिक, दशक भीतरी भाग तथा सीमांचल पर अनेक सभ्यता छल जाहिमे झूकर अमीरी संस्कृति, नल एवं क्वेटा संस्कृति,गोयल संस्कृति, बनास संस्कृति,कायथ संस्कृति, जोरवे संस्कृति, गंगा यामुनाक मृद्भांड संस्कृति, तथा बिहारक चिरांद संस्कृति आदि प्रसिद्ध अछी |

एहिमेसँ  किछु संस्कृति एहन अछी जे हरप्पो संसकृतिसँ प्राचीनतर अछी जकर व्यवस्थित कृषि ओ ग्राम व्यवस्था ई.पूर्व ५००० सँ पाछु चली जाइत अछी | एही प्रकारें ई घोषणा निर्विवाद रूपं कायल जा सकैछ जे विश्वभरिक सेमेटिक सभ्यता मे,भारतीय सभ्यता प्राचीनतम अछी | कालान्तरक भारतीय धार्मिक तथा दार्शनिक वैचारिक अनेकता ओ भिन्नता, सभ्यताक एही प्राचीनता दिस संकेत करैत अछी |

सैन्धवो सभ्यताक उत्खनन एकटा आकास्मिकते थिक | सन १९२१ ईस्वी धरि भारतक प्राचीनतम सभ्यता आर्यक वैदिके सभ्य्तांक मानल जीत छल |

सन १९२२ ईस्वी धरि सिंध प्रांतमे बौद्ध स्तूपक खोजक क्रममे  राखालदास बनर्जीकं हठाट किछु प्राचीन अपरिचित मोहर भेटल | एहिने मोहर रावी तटक हड़प्पा मे सेहो भेटल |

भारतीय पुरातत्व चौंकी उठल | तकर बाद दस वर्ष धरि एही सब क्षेत्र मे उत्खनन कार्य चलैत रहल जाहिमे अग्रणी छलाह सर जान मार्शल,अर्नेस्ट मैके, काशीनाथ दीक्षित, दयाराम साहनी,एन.जी.मजूमदार,सर आरियल स्टीन,एच.हर्ग्रिव्हज,पिगट,तथा व्हीलर आदि विद्वान |

प्रकाशमे आयल जे सभ्यता,ओकरे हड़प्पा,सैन्धव,तथा द्रविड़सभ्यता कहल जाइत अछी | आब एहिमे कोनो विवाद नहीं रहल(तत्काल) जे यैह द्रविड़सभ्यता  भारतक प्राचीनतम सभ्यता थिक, आर्यक वैदिक सभ्यता समकालीने सभ्यता एवं संस्कृति थिक जे एक बेर पुनः भौतिक दृष्टी से  भारतकं, घुमाकं प्रायः एक हजार वर्ष पाछू लऽ आनलक | द्रविड़सभ्यता नागरिक सभ्यता छल किन्तु वैदिक सभ्यता ग्राम्य |

प्रसार तथा संस्कृति भिन्नताक कारने एही वैदिक सभ्यताक पूर्व तथा उत्तर वैदिक युग रूपमे विभाजित कायल गेल अछी | यद्यपि आर्य आगमन तथा  ॠग्वेदक रचना तिथिबिन्दुक प्रसंग अनेक मतवैभिन्य  अछी तथापि वैदिक सभ्यताक तिथिबिंदु आर्य आगमनक तिथिसँ अर्थात ई.पूर्व २५०० ईस्वी वर्ष सँ लऽ कें ई.पूर्व छठम शताब्दी धरि मानल जाइत अछी | हमरा मतें एही सभ्यताक अंतिम छोरबिंदु स्मृति रचनाकाल बिंदु धरि अर्थात ई.पूर्व पाँचम शताब्दी धरि मानल जेबाक चाही | कारण, वृहत्तर भारतीय समाजक जाहि किछु अंशक बौद्ध धर्म छुबियो सकल से बौद्धक जन्म्कालेंसँ  नहि अपितु बुद्धक जन्मक बाद प्रायः डेढ़ सौ वर्षक पश्चाते | ईस्वी पूर्व तेसर शताब्दिक अशोकक पश्चाते बौद्ध धर्मकं राज्याश्रय सेहो भेटल तथा प्रचार तंत्र सेहो प्राप्त भेल | महावीर, बुद्ध,अजातशत्रु,तथा मगध साम्राज्यक कालसँ भारतीय इतिहास पुरातात्विक साक्ष्यक आसन पर प्रतिष्ठित भऽ जाइत अछी, सर्वमान्य होमऽ लगैत अछी | ओकर बाद अबैत अछी मौर्य, कुषाण,आ गुप्त,इतिहासक राजमार्ग पर  दौड़ऽ लगैत अछी |

एही प्रकारें चारि पांच लाख वर्ष पूर्व जे भारतीय इतिहास जागल छल, ई पूर्व ३०००० वर्ष उठिक ठाड़ भऽ गेल तथा द्रविद्काल मे चलऽ लागल एवं मौर्या ओ कौटिल्य पश्चात् दौड़ऽ लागल | यैह थिक प्राचीन |

अतितक एही प्राचीन पर आधुनिक भारतकं अजेय गौरव अछी वैचारिक गरिमा पर आ सर्वोपरि गौरव अछी परम्पराक अखंडता पर |

विश्वक अन्य सभ्यता एवं संस्कृति जकां भारतक सभ्यता एवं संस्कृति कहियो समूल नष्ट नहि भेल, अदिये कालसँ अक्षुण तथा अखंडित परम्पराक रूपमे वधिर्ष्णु ओ प्रवाहमान रहल अछी | अनेक जन प्रवाहक संग अनेक संस्कृति तरंग आबैत गेल आ भारतीय सभ्यताक गंगामे समाहित होइत गेल, पवित्र बनैत गेल, पावन बनैत गेल, मान्य होइत गेल |

यैह थिक भारतीय सहिष्णुता तथा सहअस्तीत्वक  भावना, जकर जड़ी एहिठामक प्राचीन भूगोल पर गड़ल अछी ,जाकर पात पल्लव मनावतांक आस्थाक छाहरी दैत रहल आ जकर सौंदर्यसुगंधी  मानवमनकं निष्ठाक विमुग्धता दैत रहल |

कोनो संस्कृतिक चिंतनकेर गाम्भीर्य तथा  वैविध्य ओही सभ्यताक सहअस्तित्व ओ सहिष्नुते टांक नहि प्रकट करैत अछी अपितु ओकर प्राचीनता दिस सेहो संकेत करैत अछी | संस्कृति एकटा एहन बैरोमीटर थिक जाहिसँ कोनो सभ्यताक प्राचीनताक सहजहि नापल जा सकैछ |

भारतीय सभ्यता प्राचीनमे नहि, संस्कृतक वैभवसँ सम्पन्नो अछी जकरा समकालीन भारतीय इतिहास अपन दीन हीन दृष्टिसँ मौनभाव निहारी रहल अछी |

भारतीय संस्कृतिक राजपथ पर भौगोलिक विशाल सम्पन्नता जाँ सहअस्तित्व ओ सहिष्णुताक  माटी देलक तं द्रविड़ सभ्यता ओही पर पाकल ईट ओछोलक तथा वैदिक सभ्यता ओही पर वैचारिक सीमेंट दऽ कं  सबकें बान्हि देलक जाहि पर अइयो भारतीय चलि रहल अछी, चलैत रहत |

भारतीय संस्कृतिक यात्रा प्रवृति मार्गक यात्रा थिक | सम्पूर्ण द्रविड़ सभ्यता प्रायः प्रवृतिमार्गीय अछी, वैदिक सभ्यताक वेद ब्राह्मन प्रवृतिमार्गी थिक, बीच मे उपनिषद आ बौद्ध निवृतिक मरुभूमि थिक पुनः

ब्रजयान तथा सहजयान प्रवृतिमुलक थिक फेर बीच मे सूफी ओ कबीरक निवृति पांतर अछी आ अंतमे पुनः प्रवृतिगामी भक्ति आन्दोलन आबी जाइत अछी जे आई धरि वर्तमान अछी | अर्थात भारतीय धर्म कहियो शुष्क कठोर नहि रहल अछी

धर्मक अर्थ एहिठाम ओ नहि थिक जे आन संस्कृति मे प्रचलित अछी | विश्वक आन-आन धर्म, कोनो ने कोनो धार्मिक ग्रन्थ पर आधारित तथा प्रचलित अछी |भारतीयक कोनो धार्मिक ग्रन्थ एही अर्थमे नहि अछी जे अछी से आचार ग्रन्थ थिक, विचार ग्रन्थ थिक अथवा साहित्य थिक | भारतक धर्म एकर कर्मे थिक |

एही सबसँ  प्रकाशित होइत अछी एकटा मानवीय मूल्य , एकटा सामाजिक नैतित्कता  तथा एकटा वैचारिक मान्यता | आ यैह बनैत अछी भारतीयक एकटा सनातन धर्म जे अखिल मानवताक शुभकामना थिक सामाजिक दायित्व थिक तथा ऐतिहासिक प्रयोजन थिक |

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