दू टा कविता
१
सूर्यक घाम पसेना
चिप चिप कनपट्टी
साँझक आंगुर सँ सरकल अछी कज्रौटी
ई दू मुहाँ घरक देहरी सकुचायल
बिना बजौने धमक सुनौलक पुरिबा ई
चुक्का जकां सोन्हायल
मनकेर कोर भरल
इर्ष्या जकां सिहरी
कपैत अछि पुरिबा ई
२
देसिल बयना
सुनथी सुनयना
गौरा कव्वाली गवैत छथि
झूमी बजाबैथ तालो मैना
विद्यापतिक काव्य आधारित
प्रथम मैथिलि फिल्म बनल अछि
मिथिलाक्षर में पोस्टर बाँचू
मिथिलावासी चलू सिनेमा
सूर्यक घाम पसेना
चिप चिप कनपट्टी
साँझक आंगुर सँ सरकल अछी कज्रौटी
ई दू मुहाँ घरक देहरी सकुचायल
बिना बजौने धमक सुनौलक पुरिबा ई
चुक्का जकां सोन्हायल
मनकेर कोर भरल
इर्ष्या जकां सिहरी
कपैत अछि पुरिबा ई
२
देसिल बयना
सुनथी सुनयना
गौरा कव्वाली गवैत छथि
झूमी बजाबैथ तालो मैना
विद्यापतिक काव्य आधारित
प्रथम मैथिलि फिल्म बनल अछि
मिथिलाक्षर में पोस्टर बाँचू
मिथिलावासी चलू सिनेमा