एक बार मुस्कुराना
तुम्हारे चेहरे पर
उग आई हैं
कुछ लकीरें
शायद
उम्र की सीढ़ियों पर
देर तक चलती रही होगी
आँखों के नीचे
बढ़ते जा रहे हैं
काले गड्ढे
रात रात भर
जागती रही होगी
किसी की याद में
तुम्हारे
शब्दों में
अर्थ
कहीं भी नजर नहीं आता दूर तक
गूंजती रहती है
तुम्हारी बेचैन आवाजें
बंद दीवारों में
किसी दिन करना
अपने आप से
मन भर बातें
धूप के पन्नों पर गढ़ना
अपनी
सारी यादें
एक बार
अकेले में
मुस्कुराना ......
उग आई हैं
कुछ लकीरें
शायद
उम्र की सीढ़ियों पर
देर तक चलती रही होगी
आँखों के नीचे
बढ़ते जा रहे हैं
काले गड्ढे
रात रात भर
जागती रही होगी
किसी की याद में
तुम्हारे
शब्दों में
अर्थ
कहीं भी नजर नहीं आता दूर तक
गूंजती रहती है
तुम्हारी बेचैन आवाजें
बंद दीवारों में
किसी दिन करना
अपने आप से
मन भर बातें
धूप के पन्नों पर गढ़ना
अपनी
सारी यादें
एक बार
अकेले में
मुस्कुराना ......