मेरा अकेलापन
मैं
लड़ता हूँ अपने आप से
अपनों से
अपने ही सपनों से उलझाये रखता हूँ
अपना आपा
की
याद न आये मुझे
मेरा परिवार
मेरा वजूद
मेरी गोद के लिए मचलता नन्हा अभी
उदास आँखों में
गीले सपने छुपाती
मेरी यादों को सहेजती
मेरी पत्नी
हर बात में मेरा जिक्र आते ही
पनियाती आँखों को
पोंछती मेरी माँ
अखबार के पीछे
अपनी नजरों में अनकही नाराजगी लिए बाबूजी
पर
चाहकर भी
नहीं भूल पता हूँ
अपनों की यादों का मीठा स्पर्श
यूँ
घर से मीलों दूर
अकेले ही लगाता हूँ ठहाके
अपनी बेबसी पर
और
गुजर जाता है
बेचैनियों से भरा एक और दिन.
लड़ता हूँ अपने आप से
अपनों से
अपने ही सपनों से उलझाये रखता हूँ
अपना आपा
की
याद न आये मुझे
मेरा परिवार
मेरा वजूद
मेरी गोद के लिए मचलता नन्हा अभी
उदास आँखों में
गीले सपने छुपाती
मेरी यादों को सहेजती
मेरी पत्नी
हर बात में मेरा जिक्र आते ही
पनियाती आँखों को
पोंछती मेरी माँ
अखबार के पीछे
अपनी नजरों में अनकही नाराजगी लिए बाबूजी
पर
चाहकर भी
नहीं भूल पता हूँ
अपनों की यादों का मीठा स्पर्श
यूँ
घर से मीलों दूर
अकेले ही लगाता हूँ ठहाके
अपनी बेबसी पर
और
गुजर जाता है
बेचैनियों से भरा एक और दिन.