छीटे मनोरथ के
मैं सफ़ेद ,है मुझे खेद |
हूँ क्लांत , मलिन, सुस्त,नीरस |
तू खुश मिजाज ,बहुरंगी
रंगों से चूता रस
कुछ रस के छीटे पड़े मनोरथ पर मेरे
मैं बेकार हुई ,
तू ठहरा रंगीन ,
मैं धब्बेदार रही |
हूँ क्लांत , मलिन, सुस्त,नीरस |
तू खुश मिजाज ,बहुरंगी
रंगों से चूता रस
कुछ रस के छीटे पड़े मनोरथ पर मेरे
मैं बेकार हुई ,
तू ठहरा रंगीन ,
मैं धब्बेदार रही |