कमरे का धुआँ
सोचिएकिस दौर में शामिल हुएखिड़कियाँ खोलीं कि
आएगी हवा
छँटेगा इस बंद
कमरे का धुआँ
क्या खुलेपन सेमगर हासिल हुएपच्छिमी गोलार्ध से
आकर सुबह
खोल देगी
हर अंधेरे की गिरह
मान यहसंघर्ष से गाफ़िल हुएक्या न ख़ुशबू
बाँटने के नाम पर
है हरापन चूसने का
यह हुनर
जो बने रहबरवही क़ातिल हुए।
आएगी हवा
छँटेगा इस बंद
कमरे का धुआँ
क्या खुलेपन सेमगर हासिल हुएपच्छिमी गोलार्ध से
आकर सुबह
खोल देगी
हर अंधेरे की गिरह
मान यहसंघर्ष से गाफ़िल हुएक्या न ख़ुशबू
बाँटने के नाम पर
है हरापन चूसने का
यह हुनर
जो बने रहबरवही क़ातिल हुए।