बुलंद है हौसला
बुलंद है हौसला
जीवंत जीने का
इस बुढ़ापे में।
दुर्लभ देह को
अब भी
सँभाले हैं
हड्डियाँ और माँसपेशियाँ।
न सही बलीन
अवलीन
भी नहीं हूँ
कि ढह जाऊँ
ढेर हो जाऊँ
न मैं रहूँ मैं
न पृथ्वी रहे मेरे लिए
न मैं रहूँ पृथ्वी के लिए।
जीवंत जीने का
इस बुढ़ापे में।
दुर्लभ देह को
अब भी
सँभाले हैं
हड्डियाँ और माँसपेशियाँ।
न सही बलीन
अवलीन
भी नहीं हूँ
कि ढह जाऊँ
ढेर हो जाऊँ
न मैं रहूँ मैं
न पृथ्वी रहे मेरे लिए
न मैं रहूँ पृथ्वी के लिए।