वजूद तुम्हारा
वक़्त की केतली में
उबलती रही
तुम्हारी उदासियाँ
हँसता रहा
तुम्हारी खिड़की का टूटा शीशा
कबूतरों का झुण्ड
उतर आता
तुम्हारी छत पर
दानों की जुगाड़ में
तुम
भूल जाती हर बार
बिखेरना खुद को
चूता रहा पानी
टूटे नल से
गीले होते गए
तुम्हारे शब्द सारे
झाड़ू और कपडे में उलझी रही तुम
बीतता रहा
प्रेम
अलग थलग
पुरानी
किताबों के भीतर कहीं रखा था
तुमने
अपनी
नींद और देह
किसी कबाड़ी को
मिला होगा शायद
चूल्हे की कच्ची आंच से फुसफुसाकर
बांटती हो
अपना मन
सुलगता रहता है
तुम्हारा वजूद
चिंगारियों में
उबलती रही
तुम्हारी उदासियाँ
हँसता रहा
तुम्हारी खिड़की का टूटा शीशा
कबूतरों का झुण्ड
उतर आता
तुम्हारी छत पर
दानों की जुगाड़ में
तुम
भूल जाती हर बार
बिखेरना खुद को
चूता रहा पानी
टूटे नल से
गीले होते गए
तुम्हारे शब्द सारे
झाड़ू और कपडे में उलझी रही तुम
बीतता रहा
प्रेम
अलग थलग
पुरानी
किताबों के भीतर कहीं रखा था
तुमने
अपनी
नींद और देह
किसी कबाड़ी को
मिला होगा शायद
चूल्हे की कच्ची आंच से फुसफुसाकर
बांटती हो
अपना मन
सुलगता रहता है
तुम्हारा वजूद
चिंगारियों में