अधूरे सवाल
आज
रात की चुप्पी
उग आई है
दीवारों पर
अँधेरे की पीठ पर
चढ़ बैठा है जुगनू
पर्दों के पीछे छुप कर बैठी है नींद
उदास पन्नों पर कैसे लिखे
जाएँगे सपने
आज
कोई सिरफिरा गुनगुना रहा है
शायद
अपने मन को
आज फिर होगी बहस
जीत और हार के परे
कुछ मुद्दे रह जाएँगे
फिर से
उतने ही अकेले
आज
मैं फिर अपने आप से
करूँगा बातें
सिर्फ तुम्हारी
आज फिर
रह जाएँगे कुछ सवाल यूँ ही .........
रात की चुप्पी
उग आई है
दीवारों पर
अँधेरे की पीठ पर
चढ़ बैठा है जुगनू
पर्दों के पीछे छुप कर बैठी है नींद
उदास पन्नों पर कैसे लिखे
जाएँगे सपने
आज
कोई सिरफिरा गुनगुना रहा है
शायद
अपने मन को
आज फिर होगी बहस
जीत और हार के परे
कुछ मुद्दे रह जाएँगे
फिर से
उतने ही अकेले
आज
मैं फिर अपने आप से
करूँगा बातें
सिर्फ तुम्हारी
आज फिर
रह जाएँगे कुछ सवाल यूँ ही .........