युग वैषम्य
कर्णक कबच कुंडल जकाँ
हम अपन सम्पूर्ण भोगाकंक्षा
परितिस्थिति -विप्रकें दान दऽ देल |
हमर बाप द्रोणाचार्य नहि रहथि
तथापि हम अश्वत्थामा छि
बचना हमर माय थिकी–
जे कुंठाक दूध घोरि रहली अछी |
हम अपन सम्पूर्ण भोगाकंक्षा
परितिस्थिति -विप्रकें दान दऽ देल |
हमर बाप द्रोणाचार्य नहि रहथि
तथापि हम अश्वत्थामा छि
बचना हमर माय थिकी–
जे कुंठाक दूध घोरि रहली अछी |