वयः संधि , द्वितीय पर्व
बाघ-बोनमे बौअयब हम
ककरा संग,लागल साँझ परात
माया मुद्रा,व्यधि व्यथा केर
जब्बर-जब्बर खुट्टा चारू कात
क्रोध नहीं रहल मोनमें बैसल
मातल छुट्टा सांढ--
आब की तोड़ब पगहा ,किएक
मारब बथानमे लात
ककरा संग,लागल साँझ परात
माया मुद्रा,व्यधि व्यथा केर
जब्बर-जब्बर खुट्टा चारू कात
क्रोध नहीं रहल मोनमें बैसल
मातल छुट्टा सांढ--
आब की तोड़ब पगहा ,किएक
मारब बथानमे लात