सखी ये दुर्लभ गान तुम्हारा
ठीक भोर में जब गंगा के
जल में लाली घुलती जाए
और दूर विहगों की टोली
आसमान में पंख फैलाये
गीत मधुर जीवन के गाए
कोई भींगा सा हाथ तभी
मन्दिर की घंटी छू जाए
या गोधूली हो , यमुना तट हो
सूरज पानी पर उतराए
और कृष्ण की बंसी सुनकर
राधा पायल छनकाती आए
कुछ वैसा ही लहर उठा है
जाने ये सुर कहाँ सजा है ?
मैंने पूछा इस वायु से
री पगली तू क्यों इतराई
किसके उच्छ्वास की लहरें
मेरे कानो तक ले आई
वो हँसती आगे चलती थी
पीछे जब मैं उसके आया
देखा यहाँ तुम्ही बैठी हो
अच्छा क्या तुमने गाया ?
सखी आज तुम गाती जाओ
खिल खिल उठा है प्राण हमारा
मंत्रमुग्ध पूरी धरती है
सुनकर दुर्लभ गान तुम्हारा
जल में लाली घुलती जाए
और दूर विहगों की टोली
आसमान में पंख फैलाये
गीत मधुर जीवन के गाए
कोई भींगा सा हाथ तभी
मन्दिर की घंटी छू जाए
या गोधूली हो , यमुना तट हो
सूरज पानी पर उतराए
और कृष्ण की बंसी सुनकर
राधा पायल छनकाती आए
कुछ वैसा ही लहर उठा है
जाने ये सुर कहाँ सजा है ?
मैंने पूछा इस वायु से
री पगली तू क्यों इतराई
किसके उच्छ्वास की लहरें
मेरे कानो तक ले आई
वो हँसती आगे चलती थी
पीछे जब मैं उसके आया
देखा यहाँ तुम्ही बैठी हो
अच्छा क्या तुमने गाया ?
सखी आज तुम गाती जाओ
खिल खिल उठा है प्राण हमारा
मंत्रमुग्ध पूरी धरती है
सुनकर दुर्लभ गान तुम्हारा