सफेद चाक हूं मैं
समय की
अंधेरी
उदास सड़कों पर
जीवन की
उष्ण, गर्म हथेली से
घिसा जाता
सफेद चाक हूं मैं
कि
क्या
कभी मिटूंगा मैं
बस
अपना
नहीं रह जाउंगा
और तब
मैं नहीं
जीवन बजेगा
कुछ देर
खाली हथेली सा
डग – डग – डग .
अंधेरी
उदास सड़कों पर
जीवन की
उष्ण, गर्म हथेली से
घिसा जाता
सफेद चाक हूं मैं
कि
क्या
कभी मिटूंगा मैं
बस
अपना
नहीं रह जाउंगा
और तब
मैं नहीं
जीवन बजेगा
कुछ देर
खाली हथेली सा
डग – डग – डग .