अनुपलब्ध
एक ता दमघोंटू कोठली अछि
स्मृति सभक नाचि रहल अन्धकार
आन्हर डेग पर
हाथ दुनूक वायवी संतुलन लेने
हम ताकने फिरैत छी--
आ देवाल सँ ठोकर खाइत
जहर युक्त साँस पीबैत
माथ फोड़ी,कंठ मोकि
मरि जाइत छि-प्रति दिन
एकांत
अन्हार में |
स्मृति सभक नाचि रहल अन्धकार
आन्हर डेग पर
हाथ दुनूक वायवी संतुलन लेने
हम ताकने फिरैत छी--
आ देवाल सँ ठोकर खाइत
जहर युक्त साँस पीबैत
माथ फोड़ी,कंठ मोकि
मरि जाइत छि-प्रति दिन
एकांत
अन्हार में |