क्यूँ
क्यूँ उतर आये हो
मेरी यादों में तुम अभी ही
निपटाने हैं ढेरों काम अभी मुझे
चढ़ाना है अदहन
मांजने हैं जूठे बर्तन
धोने हैं कपडे कितने
और ढूध भी पिलाना है मुन्ने को
लाना है राशन
हरी तरकारियाँ
बाबूजी की दवाईयां
माँ के लिए घुटने की मालिश का तेल
पूछना है लौटते हुए
डाकिये से तुम्हारी चिट्ठियों की खबर
अभी जाओ तुम
मेरी उनींदी आँखों से
की
निपटाने हैं ढेरों काम अभी मुझे
मेरी यादों में तुम अभी ही
निपटाने हैं ढेरों काम अभी मुझे
चढ़ाना है अदहन
मांजने हैं जूठे बर्तन
धोने हैं कपडे कितने
और ढूध भी पिलाना है मुन्ने को
लाना है राशन
हरी तरकारियाँ
बाबूजी की दवाईयां
माँ के लिए घुटने की मालिश का तेल
पूछना है लौटते हुए
डाकिये से तुम्हारी चिट्ठियों की खबर
अभी जाओ तुम
मेरी उनींदी आँखों से
की
निपटाने हैं ढेरों काम अभी मुझे