मैथिली
प्रख्यात नवतावादी आ मैथिलि नवकविताक जनक आ विचारक रामकृष्ण झा किसुन स्मृति में सुपौल में किसुन संकल्प लोक नामक संस्थाक स्थापना १९८० में भेल | आरम्भ में एही संस्था सन केदार काननक अतिरिक्त कलानंद भट्ट,रामानुग्रह झा, डा.महेंद्र,डा.सुभास चन्द्र यादव,महाप्रकाश,धीरेन्द्र धीर,डा.तारानंद वियोगी ,तारानंद झा तरुण जुरलाह |
प्रो.मायानंद मिश्र एही संस्थाक अभिवावक छथि | बाद में मैथिलिक सक्रिय रचनाकार डा.नवीन कुमार दास, डा.शिवेंद्र दास ,रमेश,शतीस वर्मा, निर्भय, रमणकुमार सिंह,सुस्मिता पाठक,रघुनाथ मुखिया आदि जुरलाह आ एकरा समृद्ध कयलनी | आरम्भ में संकल्प आ धार नामक पत्रिकाक प्रकाशनक एही संस्था द्वारा भेल जे अपन एक विशिस्ट छाप मैथिलिक पत्रकारिता जगत में छोरलक |
प्रकाशनक काज जखन ई संस्था सुरु कयलक तन मैथिलिक प्रख्यात लेखक समाज एकरा सन जुरलाह जाही में कीर्तिनारायण मिश्र,मन्त्रेश्वर झा,जीवकांत,डॉ प्रभु नारायण विद्यार्थी,भीमनाथ झा,मायानंद मिश्र ,रमेश,वियोगी,पंकज पराशर,विवेकानंद झा,डॉ देओशंकर नवीन,नाराएन जी आदि और गंभीरता सन जुरी गेलाह आ दिनानुदिन एही संस्थाक पताका साहित्य जगत में लहरैत चल गेल | ई संस्था लगभग तीस गोट किताब आ पत्रिकाक प्रकाशन कयलक | सहस्मुखी चौक पर केर प्रकाशक यैह संस्था थिक जकरा साहित्य अकादमी पुरस्कार सं सम्मानित कायल गेल |
मैथिलि कऽ अनेक अक्षर पुरुषक सम्मान में ई संस्था अनेक सफल आयोजन कयलक | सृजन के दीप पर्व नामक आयोजन में प्रख्यात कथाकार राजमोहन झा ,प्रभास कुमार चौधरी,महाप्रकाश,सुभास चन्द्र यादव,अशोक बिभूति आनंद,रमेश,शिव शंकर श्रीनिवास,तारानंद वियोगी,अरविन्द ठाकुर आदि भाग लेलनी | एही सबहक अतिरिक्त प्रत्येक वर्षा अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक आयोजन ई संस्था करैत रहल जाहि में जीवकांत,धूमकेतु,कुलालंद मिश्र,सोमदेव,मोहन भरद्वाज,भीमनाथ झा,रामलोचन ठाकुर,प्रदीप बिहारी,नारायण जी,डॉ रामानंद झा रमण,पंकज पराशर,विनोद कुमार झा,सकेतानंद,अग्नुपुष्प, शांति सुमन ,हरिशंकर शलभ,ओमप्रकाश भारती,सुखदेव नारायण,आ बंगालक प्रख्यात कवी कलिपदा कोनार,कुमार कलिपदा कोनार ,कुमार मनीष अरविन्द,कृष्णमोहन झा आदि अपन सहभागिता देलनि
ई संस्था मैथिलिक भाषा संस्कृत संवाहक,नव चेतानाकें,नव विचारकें,आत्मसात कई ओकरा संपुष्ट आ व्यापक धरातल प्रदान करैत रहल अछी |
एही संस्था में अपनेक स्वागत ऐछ |
हिंदी
प्रख्यात नवतावादी कवि-विचारक और मैथिली की नई कविता के प्रतिष्ठापक रामकृष्ण झा किसुन की स्मृति में सुपौल में "किसुन संकल्प लोक" नामक संस्था की स्थापना १९८० में हुई | आरम्भ के दिनों में इस संस्था के साथ केदार कानन (संयोजक) के अतिरिक्त मैथिली के शीर्षस्थ गजलकार कलानंद भट्ट, प्रख्यात आलोचक रामानुग्रह झा, समकालीन साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर---डा.महेंद्र, डा.सुभाष चन्द्र यादव, महाप्रकाश, धीरेन्द्र धीर, डा.तारानंद वियोगी ,तारानंद झा तरुण आदि लोग जुडे|प्रख्यात उपन्यासकार-चिन्तक प्रो.मायानंद मिश्र इस संस्था के अभिवावक हैं | बाद के दिनों में मैथिली के सक्रिय रचनाकार डा.नवीन कुमार दास, डा.शिवेंद्र दास ,रमेश, सतीश वर्मा, निर्भय, रमणकुमार सिंह, सुस्मिता पाठक,रघुनाथ मुखिया आदि जुडे और इसे समृद्ध बनाया। आरम्भ में "संकल्प" और "धार" नाम से दो पत्रिकाओं का प्रकाशन भी इस संस्था द्वारा किया गया,जिसने अपनी एक विशिष्ट छाप मैथिली पत्रकारिता में छोडी। जब इस संस्था ने प्रकाशन का कार्य करना शुरू किया तो मैथिली की दुनिया के प्रख्यात लेखकों का एक बडा समुदाय इस संस्था से जुडा, इनमें कीर्तिनारायण मिश्र, मन्त्रेश्वर झा, जीवकांत, डॉ प्रभु नारायण विद्यार्थी, भीमनाथ झा, रमेश,पंकज पराशर, विवेकानंद झा, डॉ देवशंकर नवीन, नारायण जी आदि थे। इन सब लोगों के जुडाव से और पुराने साथियों की सक्रिय सहभागिता से दिनानुदिन इस संस्था की प्रतिष्ठा बढती गई, और कहनेवाले तो कहते हैं कि इसकी "पताका साहित्य-जगत में फहर गई"| इस संस्था ने अबतक लगभग तीस महत्वपूर्ण किताबों और पत्रिकाओं का प्रकाशन किया है। इसके द्वारा प्रकाशित कृति "सहस्रमुखी चौक पर" (रचनाकार- सोमदेव) को प्रतिष्ठित "साहित्य अकादमी पुरस्कार" से सम्मानित किया जा चुका है। मैथिली के अनेक अक्षर-पुरुषों के सम्मान में इस संस्था ने अनेक सफल आयोजन किये हैं। "सृजन के दीप पर्व" नामक आयोजन में प्रख्यात कथाकार राजमोहन झा ,प्रभास कुमार चौधरी, महाप्रकाश, सुभाष चन्द्र यादव, अशोक, विभूति आनंद, रमेश, शिवशंकर श्रीनिवास, तारानंद वियोगी, अरविन्द ठाकुर आदि ने भाग लिया था। इस सब के अतिरिक्त प्रत्येक वर्ष अनेक साहित्यिक -सांस्कृतिक आयोजन यह संस्था करती रहती है, जिनमें जीवकांत, धूमकेतु, कुलानंद मिश्र, सोमदेव, मोहन भारद्वाज, भीमनाथ झा, रामलोचन ठाकुर, प्रदीप बिहारी, नारायण जी, डॉ रमानंद झा रमण, पंकज पराशर, विनोद कुमार झा, साकेतानंद, अग्निपुष्प, शांति सुमन ,हरिशंकर शलभ, ओमप्रकाश भारती, सुखदेव नारायण, कुमार मनीष अरविन्द,कृष्णमोहन झा और बंगला के प्रख्यात कवि कालिपद कोणार आदि हस्तियों ने अपनी सहभागिता प्रदान की है। मैथिली भाषा-संस्कृति के संवाहक के रूप में "किसुन संकल्प लोक" नई चेतना,नए विचारों को आत्मसात करते हुए उन्हें संपुष्ट करने और व्यापक धरातल प्रदान करने के लिए कृतसंकल्प है। अब आपकी सहभागिता की हमें प्रतीक्षा थी। आइये, हम हृदय से आपका स्वागत करते हैं.......