।।पंचवटी।।
अपन निन्न क्यो दोसरा खातिर
राजी खुशी गमाबैए।
आर क्यो तबधल धरती कें
शीतल चमन बनाबैए।
कियो आस मे धैरज धयने
आंखिक नोर सम्हारै छै।
कियो हृदय पर पाथर रखने
कुल के कर्ज उतारै छै।
ई दुनियां छी रंगमंच
आ जिनगी ई चतुर नटी
ई छी जिनगिक पंचवटी।
एक बाट पर माया-ममता
एक बाट पर शूल
कोनो बाट पर कांट बिछाओल
कोनो बाट पर फूल।
फूल-कांट कें सम पर सधने
ई जीवन के चतुर नटी
ई छी जिनगिक पंचवटी।
राजी खुशी गमाबैए।
आर क्यो तबधल धरती कें
शीतल चमन बनाबैए।
कियो आस मे धैरज धयने
आंखिक नोर सम्हारै छै।
कियो हृदय पर पाथर रखने
कुल के कर्ज उतारै छै।
ई दुनियां छी रंगमंच
आ जिनगी ई चतुर नटी
ई छी जिनगिक पंचवटी।
एक बाट पर माया-ममता
एक बाट पर शूल
कोनो बाट पर कांट बिछाओल
कोनो बाट पर फूल।
फूल-कांट कें सम पर सधने
ई जीवन के चतुर नटी
ई छी जिनगिक पंचवटी।