.....हमरा आकाशवाणी दरभंगा केन्द्रक निदेशकक कार्यभार लेना तीन-चारि मास भेल हएत जे एकदिन जवाहर जी कें पुछलियै--'भाइ, चन्दा झाक मिथिला रामायण देखलहक कहियो?'
चारिये-पांच दिनका बाद ओ मिथिला रामायणक तीन-चारि स्थल देखेलक आ कहलक जे एकरा मैथिली धुन मे बन्हबाक प्रयास करै छियै। से तेहन दिव्य बनेलक जे हम सुनि क' दंग रहि गेल रही। ओ दू-तीन टा प्रसंग के सीताराम भाइ संगे हमरा सब कैक गोटा, एकदम तटस्थ भ' क' सुनलियै, ओ कोनो दृष्टि सं अखिल भारतीय स्तरक रहै। हम विचारलियै जे पूरा उत्तर भारतक सब केन्द्र सं तुलसीकृत रामायण तं प्रसारित होइते छै, कम सं कम मिथिलाक राजधानी सं तं मिथिला रामायण प्रसारित होअय। संगीत विभाग हमरे तल्लुक छल। हम खर्चक तखमीना लगेलहुं। हमरा लागल मास दर मास हम किछुए मासाभ्यन्तर पूरा रामायण रेकर्ड क' लेब आ फेर ओकरा दोहरबैत रहब। जवाहर जी बीडा उठबै लेल तैयार भेल। सीताराम भाइ सेहो उत्साहित केलक। तीन-चारि दिनुका अथक परिश्रमक बाद हम एकटा प्रतिवेदन तैयार केलहुं। अइ मे मैथिली भाषाक तराइ तक पसरल क्षेत्र, तदनुसार एकर असार-पसार, एकर इतिहास आ इतिहास मे मिथिलाक रामायण के स्थान आदिक उद्धरण दैत महानिदेशालय सं मिथिला रामायण कें प्रसारित करबाक अनुमति मांगलियै। इहो लिखलियै जे अइ लेल हमरा कोनो अतिरिक्त बजट नहि चाही आ एक मासक भीतर हमरा कोनो निर्देश महानिदेशालय सं नहि आएल तं हम अपन प्रस्ताव कें स्वीकृत बूझब आ फलां तारीख सं एत्ते बजे मिथिला रामायणक प्रसारण आरंभ क' देब।
ई खबरि पसरिते आकाशवाणी कालोनी मे विराजमान सेवानिवृत्त चतुर्भुज आ आकाशवाणी मे हुनकर गुट सक्रिय भेल। एकर विरुद्ध आवेदन, प्रतिवेदन, फोन, शिकायती पत्र महानिदेशालय जाय लागल। सबहक एक्के रटनि----'क्या पंडी जी, हमेशा मैथिली-मैथिली करते रहते हैं...उसमें चूडा-दही-चीनी छोड के क्या है? बोलिए, ऐं......' आ,तकर बाद एक अश्लील ठहाका। पूरा सेवा-काल मे की छोट की पैघ अधिकारी-कर्मचारी, सबहक मुंह सं दर्जनो बेर एहन अश्लील ठहाका सुनने हएब।
मैथिली रामायणक प्रसारण शुरू करैक जे तिथिक उल्लेख हम अपन प्रतिवेदन मे केने रहियै, तइ सं बहुत पहिने हमरा महानिदेशालय सं एकटा लंबा-चौडा तार भेटल, जाहि मे हमर प्रस्ताव कें अनर्गल मानि क' खारिज क' देल गेल छल, आ हमरा चेताएल गेल छल जे प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव के रूप मे निदेशकक कार्यभार हमरा रूटीन ढंग सं चलेबाक अपेक्षा कएल जाइत अछि। एहि तरहक अनर्गल प्रस्ताव भविढ्य मे नहि पठाएल जाय। सब केन्द्र सं जेना तुलसीकृत रामायण प्रसारित होइत छैक तहिना दरभंगो केन्द्र सं होइत रहबाक चाही। मैथिली एक बोली अछि जकरा मे रामायण प्रसारित करबाक कोनो औचित्य नहि अछि।
एकर छव मासक अभ्यन्तरे हम झांसी आ सतनाक बीच मे कि कहू चंबल खाह-खोह जंगल के बीच बसल एकटा छोटछीन शहर छतरपुर मे रही। अपन कोठली मे असगर पडल, छतक कडी गनैत। बाहर बुन्देली सूर्य तपि रहल छलै। दरभंगा बहुत दूर, बहुत पाछां छुटि चुकल छल।....
तारानंद वियोगी
चारिये-पांच दिनका बाद ओ मिथिला रामायणक तीन-चारि स्थल देखेलक आ कहलक जे एकरा मैथिली धुन मे बन्हबाक प्रयास करै छियै। से तेहन दिव्य बनेलक जे हम सुनि क' दंग रहि गेल रही। ओ दू-तीन टा प्रसंग के सीताराम भाइ संगे हमरा सब कैक गोटा, एकदम तटस्थ भ' क' सुनलियै, ओ कोनो दृष्टि सं अखिल भारतीय स्तरक रहै। हम विचारलियै जे पूरा उत्तर भारतक सब केन्द्र सं तुलसीकृत रामायण तं प्रसारित होइते छै, कम सं कम मिथिलाक राजधानी सं तं मिथिला रामायण प्रसारित होअय। संगीत विभाग हमरे तल्लुक छल। हम खर्चक तखमीना लगेलहुं। हमरा लागल मास दर मास हम किछुए मासाभ्यन्तर पूरा रामायण रेकर्ड क' लेब आ फेर ओकरा दोहरबैत रहब। जवाहर जी बीडा उठबै लेल तैयार भेल। सीताराम भाइ सेहो उत्साहित केलक। तीन-चारि दिनुका अथक परिश्रमक बाद हम एकटा प्रतिवेदन तैयार केलहुं। अइ मे मैथिली भाषाक तराइ तक पसरल क्षेत्र, तदनुसार एकर असार-पसार, एकर इतिहास आ इतिहास मे मिथिलाक रामायण के स्थान आदिक उद्धरण दैत महानिदेशालय सं मिथिला रामायण कें प्रसारित करबाक अनुमति मांगलियै। इहो लिखलियै जे अइ लेल हमरा कोनो अतिरिक्त बजट नहि चाही आ एक मासक भीतर हमरा कोनो निर्देश महानिदेशालय सं नहि आएल तं हम अपन प्रस्ताव कें स्वीकृत बूझब आ फलां तारीख सं एत्ते बजे मिथिला रामायणक प्रसारण आरंभ क' देब।
ई खबरि पसरिते आकाशवाणी कालोनी मे विराजमान सेवानिवृत्त चतुर्भुज आ आकाशवाणी मे हुनकर गुट सक्रिय भेल। एकर विरुद्ध आवेदन, प्रतिवेदन, फोन, शिकायती पत्र महानिदेशालय जाय लागल। सबहक एक्के रटनि----'क्या पंडी जी, हमेशा मैथिली-मैथिली करते रहते हैं...उसमें चूडा-दही-चीनी छोड के क्या है? बोलिए, ऐं......' आ,तकर बाद एक अश्लील ठहाका। पूरा सेवा-काल मे की छोट की पैघ अधिकारी-कर्मचारी, सबहक मुंह सं दर्जनो बेर एहन अश्लील ठहाका सुनने हएब।
मैथिली रामायणक प्रसारण शुरू करैक जे तिथिक उल्लेख हम अपन प्रतिवेदन मे केने रहियै, तइ सं बहुत पहिने हमरा महानिदेशालय सं एकटा लंबा-चौडा तार भेटल, जाहि मे हमर प्रस्ताव कें अनर्गल मानि क' खारिज क' देल गेल छल, आ हमरा चेताएल गेल छल जे प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव के रूप मे निदेशकक कार्यभार हमरा रूटीन ढंग सं चलेबाक अपेक्षा कएल जाइत अछि। एहि तरहक अनर्गल प्रस्ताव भविढ्य मे नहि पठाएल जाय। सब केन्द्र सं जेना तुलसीकृत रामायण प्रसारित होइत छैक तहिना दरभंगो केन्द्र सं होइत रहबाक चाही। मैथिली एक बोली अछि जकरा मे रामायण प्रसारित करबाक कोनो औचित्य नहि अछि।
एकर छव मासक अभ्यन्तरे हम झांसी आ सतनाक बीच मे कि कहू चंबल खाह-खोह जंगल के बीच बसल एकटा छोटछीन शहर छतरपुर मे रही। अपन कोठली मे असगर पडल, छतक कडी गनैत। बाहर बुन्देली सूर्य तपि रहल छलै। दरभंगा बहुत दूर, बहुत पाछां छुटि चुकल छल।....
तारानंद वियोगी